मैं वहां जाकर भी मांग लूं तुझे, कोई बता दे कुदरत के फैसले कहां होते है…!
हिम्मत तो नही मुझमें की तुझे तेरे परिवार से छीन लू , तुझे मेरे दिल से कोई निकाल दे इतना हक तो मैने खुद को भी नही दिया…!
मैं नही चाहता वो मेरे बुलाने से आए, मैं चाहता हु वो रह ना पाए और बहाने से आए…!
वादों की तरह इश्क भी आधा रहा, मुलाकाते आधी रही इंतजार ज्यादा रहा…!
लोग मुझसे मेरी खुशी का राज पूछते है, कहो तो बता दू तुम्हारा नाम…!
उम्र नही थी इश्क करने की, बस एक चेहरा देखा और गुनाह कर बैठे…!!!
मोहतरमा आज हम फिर तुम्हारी यादों में बह गए, चाय पूरी पी ली मगर बिस्कुट रह गए…!!!
तुम जिंदगी की वो कमी हो, जो शायद जिंदगी भर रहेगी…!!!
अगर मेरे पास दुनियां की सारी खुशियां होंगी, उस वक्त भी मुझे खुवाइश तेरी ही रहेगी…!!!
वो मोहब्बत झुटी कैसे हो सकती है, जो शुरू ही दूरियो से हुई हो…!!!
प्रेम में डूबा हुआ ह्रदय उतना ही पवित्र है, जितना गंगा जल में डूबा हुआ कलश…!!!
मुझे क्या पता तेरे सिवा कोई हसीन है या नही, मैने तेरे सिवा किसी और को देखा ही नहीं…!
ना जाहिर हुई उनसे ना बयां हुई हमसे, सुलझी हुई आंखो में उलझी रही मोहब्बत…!!!
आज फिर किसी ने देखा हमे मोहब्बत भरी निगाहों से, आज फिर हमने तुम्हारी खातिर नजरे झुका ली…!!!
कुछ अलग ही प्रेम था उनके और मेरे बीच, उनकी तरफ से अंत हो गया, मेरी तरफ से अनंत हो गया…!!!