तुम से अच्छे तो मेरे दुश्मन है, जो बात बात पर कहते है तुम्हे छोड़ेंगे नहीं…!
एक अजीब सी जंग है मुझमें, कोई मुझसे ही तंग है मुझमें…!
तुमपर भी यकीन है, और मौत पर भी एतबार है, देखते है पहले कौन मिलता है, हमे दोनो का इंतजार है…!
खाकर ठोकर ज़माने की, फिर लौट आए मैखाने में, मुझे देख कर मेरे गम बोले बड़ी देर लगा दी आने में…!
चार दिन आंखो में नमी होगी, मैं मर भी जाऊं तो क्या कमी होगी…!
राह देखेंगे तेरी चाहे ज़माने लग जाए, या तू आ जाए या हम ही ठिकाने लग जाए…!
घड़ी की टिक टिक को मामूली ना समझें, ज़िंदगी के दरख़्त🌲 पर कुल्हाड़ी के वार हैं…!
मैं गुनहेगर भी हु तो खुद का हु, मैने अपने सिवा किसी को बर्बाद नही किया…!
किस्मत कुछ ऐसी थी के चैन से जीने की हिम्मत ना हुई, जिसको चाहा वो मिला नही, जो मिला उससे मोहब्बत ना हुई…!
मुझे इसलिए बनाया उस भगवान ने, क्योंकि वो देखना चाहते थे, इंसान किस हद तक दर्द सह सकता है…!
लगा कर इश्क की बाजी सुना है रूठ बैठे हो, मोहब्बत मार डालेगी अभी तुम फूल जैसे हो…!
चूम कर मेरे कफन को उसने क्या खूब कहा, नया कपड़ा क्या पहन लिया अब तो बात भी नही करते…!
करनी नही आती तुम्हे मोहब्बत फिर भी करते हो, पाना भी नही चाहते और खोने से डरते हो…!
कोशिश तो बहुत करता हु खुश रहने की पर, नसीब में ही खुशियां ना लिखी हो तो क्या करू…!
उठाकर फूल की पत्ती नजाकत से मसल डाली, इशारे से कहा हम दिल का ऐसा हाल करते हैं…!
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है, जहां कातिल ही पूछे की हुआ क्या है…!
बोहत मुस्कील से करता हु तेरी यादों का कारोबार, मुनाफा कम है लेकिन गुजारा हो ही जाता है…!
बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कहानी, जख्म का निशा नही है और दर्द का इलाज नहीं…!
हमारे ऐब तो उजागर है साहब, फिक्र वो करे जिनके गुनाह परदे में हैं…!